मां की चिता पर लेटा, चांदी के कड़ों के लिए श्मशान में लड़ते हुए दो बेटे | जयपुर के शाहपुरा में एक दिल दहला देने वाली घटना

 राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के विराटनगर क्षेत्र में एक दुःखद और शर्मनाक घटना घटी है। मानवीय भावनाओं को इस घटना ने झकझोर दिया है। - A living son lay down on pyre instead of his dead mother at crematorium in Jaipur

Newalerts.in by Yogita Rani

राजस्थान के विराटनगर क्षेत्र के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में एक दुःखद और शर्मनाक घटना घटी है। इस घटना ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया है और रिश्तों की मर्यादा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गांव लीला का बास की ढाणी में एक बेटे ने अपनी ही मां का अंतिम संस्कार सिर्फ चांदी के कड़ों के लिए रोक दिया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर फैल रहा है। वीडियो में ग्रामीणों ने बेटे को समझाने की कोशिश करते हुए चिता पर लेटा हुआ देखा जा सकता है। लोग इस वीडियो से स्तब्ध हैं। राजस्थान पत्रिका ने इस वीडियो की पुष्टि नहीं की है।


बेटा, मां की चिता पर लेट गया


जानकारी के अनुसार, गांव निवासी भूरी देवी (पत्नी स्व. छितरमल रेगर) का निधन 3 मई दोपहर हुआ। अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी। घर से शवयात्रा निकली, बेटे और स्थानीय लोगों ने पूरी रीति-रिवाज से क्रियाएं कीं, लेकिन श्मशान पहुंचते ही स्थिति बदल गई।
 
मृतका के पांचवें और अंतिम बेटे ओमप्रकाश ने अचानक चिता पर लेटकर गहनों की मांग कर दी। उन्होंने दावा किया कि अगर मां के चांदी के कड़े उसे नहीं मिले तो वह अंतिम संस्कार नहीं करने देगा।


दो घंटे का हाई वोल्टेज ड्रामा


श्मशान में चिता सजाई जा रही थी, लेकिन ओमप्रकाश चिता की लकड़ियों पर लेट गया और लगभग दो घंटे तक हंगामा करता रहा। उसने भाई, स्थानीय लोगों और उसके रिश्तेदारों से बहुत कुछ सुना, लेकिन एक भी नहीं सुना। ओमप्रकाश ने ठान लिया कि वह नहीं उठेगा जब तक उसे मां के चांदी के कड़े और अन्य गहने नहीं मिलेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद गांव में अशांति फैल गई। ओमप्रकाश टस से मस नहीं हुआ, भले ही कई वरिष्ठ लोगों और पंचों ने हस्तक्षेप किया होता।




अंततः श्मशान में लाए गहने

स्थिति बिगड़ने पर भूरी देवी के कड़े और अन्य गहने घर से लाए गए और ओमप्रकाश को सौंप दिए गए। उसने चिता से उठकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। ग्रामीणों का कहना है कि गिरधारी, भूरी देवी का सबसे बड़ा बेटा था, जिसे भूरी देवी के गहनों को पहले सौंप दिया गया था।

ध्यान देने योग्य है कि ओमप्रकाश और उसके अन्य भाइयों के बीच संपत्ति को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है। मृतका के निधन के बाद, अंतिम संस्कार के पवित्र मौके पर भी बहस हुई।

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